भारत और अमेरिका के रिश्ते लंबे समय से रणनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण माने जाते रहे हैं। हाल के वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नेतृत्व शैली ने दोनों देशों के संबंधों को नई दिशा दी। दोनों नेताओं ने राजनीतिक और मीडिया के शोर-शराबे के बीच भी एक महत्वपूर्ण ट्रेड डील को आगे बढ़ाने की कोशिश की, जिससे भारत और अमेरिका दोनों को व्यापारिक व आर्थिक लाभ मिल सके।
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध कई दशक पुराने हैं। अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदारों में से एक है।
भारत अमेरिका को आईटी सेवाएँ, फ़ार्मास्यूटिकल्स, टेक्सटाइल्स और कृषि उत्पाद निर्यात करता है।
वहीं अमेरिका से भारत में उन्नत तकनीक, रक्षा उपकरण और ऊर्जा संबंधी उत्पादों का आयात होता है।
2019–2020 के दौरान जब मोदी और ट्रंप सत्ता में थे, तब दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर मतभेद भी सामने आए, जैसे
1. टैरिफ में कटौती की संभावना – अमेरिका चाहता था कि भारत कई अमेरिकी उत्पादों पर लगने वाले ऊँचे आयात शुल्क को कम करे।
2. ऊर्जा सहयोग – अमेरिका LNG (Liquefied Natural Gas) और क्रूड ऑयल का बड़ा निर्यातक है, जिसे भारत आयात कर सकता है।
3. डिफेंस और टेक्नोलॉजी – भारत को अमेरिकी डिफेंस टेक्नोलॉजी और अत्याधुनिक हथियारों तक पहुंच देने पर चर्चा हुई।
4. फार्मा और IT सेक्टर – भारतीय कंपनियों को अमेरिकी मार्केट में और बड़ा अवसर देने की बात उठी।
5. H1B वीज़ा मुद्दा – भारत ने अमेरिकी प्रशासन से भारतीय IT प्रोफेशनल्स के लिए वीज़ा नियमों को आसान बनाने की अपील की।
Modi-Trump Chemistry
मोदी और ट्रंप दोनों अपने आक्रामक लेकिन करिश्माई नेतृत्व के लिए जाने जाते हैं।
"Howdy Modi" (ह्यूस्टन, USA) और "Namaste Trump" (अहमदाबाद, भारत) जैसे बड़े इवेंट्स ने दोनों नेताओं की पब्लिक डिप्लोमेसी को नया आयाम दिया।
इन आयोजनों ने दिखाया कि राजनीतिक मतभेदों के बावजूद, दोनों नेता रणनीतिक साझेदारी और व्यापार को आगे बढ़ाने में रुचि रखते हैं।